रुस और यूक्रेन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। जिसके बाद दुनिया के अन्य शक्तिशाली देशों ने दोनों देशों के बीच तनाव में दिलचस्पी दिखानी शुरु कर दी है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देशों ने रुस का विरोध कर यूक्रेन का साथ देने का फैसला लिया है। जिसके बाद रुस ने इन देशों को सख्त चेतावनी दी है। हाल यह है कि रुस ने यूक्रेन की सीमा पर 1 लाख सैनिक तैनात कर दिए हैं तो नाटो ने लड़ाकू विमान को मैदान में उतार दिया है। वहीं लोग रुस और यूक्रेन के बीच विवाद को समझ नहीं पा रहे हैं तो चलिए हम आपको विस्तार से रुस और यूक्रेन के विवाद की असली वजह बताते हैं।
बात, 1991 की है, सोवियत संघ 15 अलग-अलग हिस्सों में बंट गया। जिसके बाद यूक्रेन एक अलग देश के तौर पर अपना अस्तित्व बनाता है। लेकिन आज भी रुस यूक्रेन पर आधिपत्य करना चाहता है, लेकिन यूक्रेन खुद को स्वतंत्र और संप्रभुता वाला देश मानता है। 2014 में रुस ने यूक्रेन के एक बड़े हिस्से क्रीमिया पर हमला किया और उस पर अधिग्रहण कर लिया। रुस का कहना था कि क्रीमिया के लोग रुस में शामिल होना चाहते थे, जिसकी वजह से उसने इस हिस्से पर कब्जा किया। इसका परिणाम यह है कि रुस को G8 से निकाल दिया गया है, साथ ही कई प्रतिबंध भी लगाए गए।
2014 में क्रीमिया पर रुस के हमले के बाद यूक्रेन में डर का माहौल हो गया कि कहीं रुस उस पर हमला कर कब्जा ना जमा ले। इसी डर की वजह से यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने का मन बना लिया। रुस को यह बात भलि-भांति पता है कि अगल यूक्रेन नाटो में शामिल हो गया तो रुस कभी भी यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर पाएगा। इसी वजह से आज रुस यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक है। रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दो टूक शब्दों में कहा है कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल होता है को इसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
जानिए क्या है नाटो NATO?
नाटो का गठन 1949 में किया गया था। इस वक्त समझौता किया गया था कि अगर कोई देश नाटो में शामिल किसी देश पर हमला करता है तो वह नाटो में शामिल सभी देशों के खिलाफ हो जाएगा और सभी देश एकजुट होकर उस देश के खिलाफ जंग का ऐलान कर देंगे। लेकिन रुस का कहना है कि 1991 में सोवियत संघ के विभाजन के वक्त यह गया था कि नाटो का विस्तार नहीं होगा और नाटो को खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और नाटो का विस्तार होता रहा।