मजीठिया को SC से राहत मिलने के बाद क्या बढ़ सकती है सिद्धू की मुश्किलें ?

बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को नशीले पदार्थों की तस्करी के एक मामले में 23 फरवरी तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में सरकारों को चुनाव से पहले अपने राजनीतिक विरोधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए उनपर आपराधिक मामले दर्ज नहीं करने चाहिए। 

बिक्रम सिंह मजीठिया को SC के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की पीठ से सोमवार को बड़ी राहत मिली है। मजीठिया के खिलाफ कथित तौर पर साल 2004 से 2015 के बीच हुए अपराधों के लिए एनडीपीएस अधिनियम के तहत 20 दिसंबर को एफआईआर दर्ज हुई थी। आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले मजीठिया को राहत मिलने से अकाली दल चैन की सांस लेते दिख रहा है। कुछ दिन पहले ही अकाली दल ने मजीठिया को अमृतसर ईस्ट सीट से नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ मैदान में उतारा है। मालूम हो कि मजीठिया नवजोत सिंह सिद्धू के बेहद कट्टर विरोधी हैं। ऐसे में चुनाव से पहले मजीठिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलना सिद्धू के लिए ख़तरे की घंटी हो सकती है।  

SC की पीठ ने मजीठिया को 23 फरवरी को चुनाव के बाद निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा है। इसके साथ एक नियमित जमानत याचिका पेश करने को भी कहा है और इस याचिका पर जल्दी ही विचार किया जाएगा। वही सुनवाई के दौरान पीठ ने आगामी पंजाब में चुनाव से ठीक पहले उनपर एफआईआर दर्ज होने पर चिंता व्यक्त की।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने ? 

मुख्य न्यायाधीश रमना के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, “सरकार के आचरण के बारे में यह कहने के लिए खेद है। पीठ के अनुसार, मजीठिया को रोकने के लिए अंतिम समय पर नामांकन दाखिल करने से पहले एफआईआर दर्ज की गई है। हम लोकतंत्र में हैं। कम से कम अपने विरोधियों को नामांकन दाखिल करने और चुनाव लड़ने की अनुमति तो दी ही जानी चाहिए। चुनाव से ठीक पहले अचानक ये आपराधिक मामले सामने आ रहे हैं। इससे सभी को विश्वास होता है कि इसमें राजनीतिक मकसद शामिल है।”

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा, “तथ्य यह है कि पंजाब आज नशीली दवाओं के व्यापार में डूबा हुआ है। जब तक हम यह संदेश नहीं भेजते कि नशीली दवाओं के खतरे को गंभीर रूप से नियंत्रित किया जाएगा और इसे राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलेगा, पंजाब के युवाओं का भविष्य अंधेरे में है। और मुझे इस शब्द का उपयोग करने के लिए खेद है।”

इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आपकी सरकार से नशीली दवाओं के व्यापार के खिलाफ कड़े कदम उठाने से हमारा कोई झगड़ा नहीं है। लेकिन जब चुनाव 20 फरवरी को होने है, तो चुनाव से ठीक दो महीने पहले एफआईआर दर्ज करना अटपटा सा लगता है। हम राज्य पुलिस को नशीली दवाओं के खिलाफ माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक नहीं रहे हैं। ये सब करने के लिए आप स्वतंत्र हैं। हम आपकी किसी भी चीज में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। आप बस उन्हें (मजीठिया) चुनाव प्रचार करने दें।”

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