पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में अंदरूनी कलह बढ़ सकती है। पार्टी के असंतुष्ट नेता एक बार फिर शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने लगे हैं। इस सिलसिले में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर शुक्रवार देर शाम असंतुष्ट नेताओं की बैठक भी हुई। वहीं, इस बार पार्टी भी पलटवार की मुद्रा में है। ऐसे में कांग्रेस के अंदर घमासान और बढ़ने के आसार हैं।
कांग्रेस हार के कारणों पर विचार करने को जल्द पार्टी कार्यसमिति की बैठक बुलाने की तैयारी कर रही है। इस बैठक के पहले पार्टी के असंतुष्ट नेता भी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। ताकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाया जा सके। इस बाबत वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई पार्टी नेताओं की बैठक में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी सहित कई असंतुष्ट नेता शामिल रहे। बैठक में चुनावों में पार्टी की हार पर चर्चा हुई। एक असंतुष्ट नेता ने कहा हार के कारणों पर विचार करने के लिए बुलाई गई पार्टी कार्यसमिति की बैठक में वे मजबूती से अपनी बात रखेंगे। इन नेताओं ने सोनिया गांधी से मिलने का वक्त भी मांगा है।
कार्यकर्ता मायूस
असंतुष्ट नेताओं की दलील है कि 2014 के बाद लोकसभा और विभिन्न विधानसभाओं के करीब 45 चुनाव हुए हैं। मगर, कांग्रेस इनमें से सिर्फ पांच चुनाव जीती है। बावजूद पार्टी ने कभी खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिश नहीं की। इससे पार्टी कार्यकर्ता मायूस हैं।
कई राज्यों में एक भी सांसद व विधायक नहीं
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 52 सीट मिली थी। यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में लोकसभा की 277 सीट हैं। पर इन राज्यों में पार्टी सिर्फ 14 सीट जीती है। इसी तरह दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, दादर नगर हवेली, त्रिपुरा, सिक्किम, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई। हालांकि, हिमाचल में हुए उपचुनाव में पार्टी को एक सीट मिली है। दिल्ली, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में पार्टी के पास एक विधायक तक नहीं है।