यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी जहां शामली जिले की तीनों सीटें हार गई है। वहीं अब बीजेपी के पदाधिकारी हार के कारण पर मंथन कर रहे हैं। एक ओर जहां जिले के एमपी एमएलसी और जिला पंचायत अध्यक्ष भी एक भी सीट नहीं बचा पाए। रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहराते हुए तीनों सीटों पर कब्जा कर लिया।
आप को बता दें कि यूपी में पहली बार जब बीजेपी की 2017 में सरकार बनी थी। तब शामली जिले में दो सीट बीजेपी और एक सीट सपा के पास थी। लेकिन अब 2022 के यूपी में विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को काफी संघर्ष करना पड़ा। बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से अपने सरकार तो बना रही, लेकिन शामली जनपद में गठबंधन के सामने बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया। एक ओर जहां बीजेपी के 3 प्रत्याशियों को जिताने के लिए योगी आदित्यनाथ ने और गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना में कैंपेनिंग की थी।
योगी और अमित शाह ने की थी मीटिंग पर मीटिंग
जहां योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह अपनी पार्टी के पदाधिकारियों और नेताओं की मीटिंग कर उनका हौसला अफजाई किया था। लेकिन कैराना लोकसभा से सांसद प्रदीप चौधरी व एमएलसी वीरेंद्र सिंह गुर्जर वे जिला पंचायत अध्यक्ष भी बीजेपी की एक भी सीट बचाने में कामयाब नहीं रहे। एक ओर दिन-रात उन्होंने प्रत्याशियों के लिए मीटिंग पर मीटिंग की थी तो वहीं प्रत्याशियों में कोई सात हजार से तो कोई 10,000 और कैराना 22000 वोटों से हार गए। गौर करने वाली बात है कि प्रदेश सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा अपनी सीट को नहीं बचा पाए। वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष व एमएलसी भी एक सीट पर अपने प्रभाव के चलते जीत दिलाने में विफल रहे।