देश में कोरोना वायरस के नए XE वैरिएंट का पहला केस महाराष्ट्र में मिलने की खबर ने इस घातक वायरस को फिर से चर्चा में ला दिया है। हालांकि, इस खबर के कुछ देर बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस महिला में मिला कोरोना वैरिएंट XE नहीं है। फिर भी इस मामले की पुष्टि के लिए एक और राउंड की जांच होगी, जिसकी रिपोर्ट एक-दो दिनों में आने की संभावना है।
देश में मिले पहले XE वैरिएंट केस के बारे में जानिए
मुंबई नगर निगम यानी BMC के मुताबिक, XE वैरिएंट से संक्रमित संदिग्ध मरीज 50 वर्षीय महिला है, जो कॉस्ट्यूम डिजाइनर है। ये महिला 10 फरवरी को साउथ अफ्रीका से देश लौटी थी। मुंबई पहुंचने पर हुई जांच में वह कोरोना निगेटिव पाई गई थी।
02 मार्च को हुई रूटीन टेस्टिंग में उस महिला को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद उसे मुंबई के बांद्रा में क्वारैंटाइन किया गया था। हालांकि, अगले दिन उसका सैंपल निगेटिव आया था।
BMC के अनुसार, सीरो सर्वे के लिए भेजे गए मुंबई के कोरोना संक्रमितों के 230 सैंपल में से 228 सैंपल्स में ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया। जबकि, एक सैंपल में XE वैरिएंट पाया गया, जबकि एक अन्य में कप्पा वैरिएंट मिला है।
BMC की इस घोषणा के बाद जैसे ही मुंबई की महिला के केस को भारत में XE वैरिएंट का पहला केस कहा जाने लगा, उसके कुछ ही घंटों बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि ये XE वैरिएंट का केस नहीं था।
भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग की निगरानी करने वाली सरकारी संस्था INSACOG इस महिला के सैंपल की फिर से सीक्वेंसिंग करेगी।
क्या है कोरोना का XE वैरिएंट?
नवंबर 2021 में साउथ अफ्रीका में मिला कोरोना का वैरिएंट ऑफ कंसर्न ओमिक्रॉन इस साल दुनिया में पाए गए कोरोना के 90% से ज्यादा केसेज के लिए जिम्मेदार है।
- ओमिक्रॉन के तीन सब-वैरिएंट हैं- BA.1, BA.2 और BA.3, लेकिन पहले दोनों सब-वैरिएंट ही ज्यादा घातक हैं, जबकि BA.3 उतना संक्रामक नहीं है।
- ओमिक्रॉन फैलने के शुरुआती दिनों में उसका सब-वैरिएंट BA.1 ही डॉमिनेंट था। वहीं इस साल इसके दूसरे सब-वैरिएंट BA.2 ने तेजी से इसकी जगह ली है। भारत में तीसरी लहर के दौरान BA.2 ही डॉमिनेंट था।
- BA.2 को BA.1 की तुलना में ज्यादा संक्रामक माना जाता है, हालांकि ये उतना घातक नहीं है। WHO के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में दुनिया में सामने आए कुल कोरोना केसेज में से 94% के लिए ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BA.2 ही जिम्मेदार था।
- BA.2 को स्टेल्थ ओमिक्रॉन भी कहा जाता है, क्योंकि अपने S-प्रोटीन में यूनीक म्यूटेशन की वजह से इसे कोरोना टेस्ट में पकड़ पाना मुश्किल होता है।
- XE वैरिएंट ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.1 और BA.2 के कॉम्बिनेशन से बना है, यानी ये ‘रिकॉम्बिनेंट’ या हाइब्रिड वैरिएंट है।
- रिकॉम्बिनेंट वायरस दो पहले से मौजूद वैरिएंट के कॉम्बिनेशन से बनते हैं। ऐसा वायरस में लगातार हो रहे म्यूटेशन यानी परिवर्तन की वजह से होता है।
- कोरोना के मामले में रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट दो पहले से मौजूद वैरिएंट के जेनेटिक मैटीरियल के मिलने से बनते हैं।
- यानी एक ही व्यक्ति के एक ही समय पर दो कोरोना वैरिएंट से संक्रमित होने से उसके शरीर में इन दोनों वैरिएंट के जेनेटिक मैटीरियल मिल जाते हैं, जिससे बनने वाले वैरिएंट को ‘रिकॉम्बिनेंट’ कहते हैं।
- रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट नया नहीं है, इससे पहले भी डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के रिकॉम्बिनेंट के केस पाए जा चुके हैं।
- WHO ने कहा है कि XE को फिलहाल नए वैरिएंट के बजाय ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट कैटेगरी में रखा गया है।
कितना खतरनाक है XE वैरिएंट?
- XE वैरिएंट का पहला केस 19 जनवरी को ब्रिटेन में मिला था। तब से इसके दुनिया भर में 650 से ज्यादा केस मिल चुके हैं, जिनमें से अकेले ब्रिटेन में ही इसके 637 केस मिल चुके हैं।
- ब्रिटेन के अलावा XE वैरिएंट के केस थाईलैंड, फ्रांस, डेनमार्क और बेल्जियम में मिल चुके हैं।
- WHO के मुताबिक, XE वैरिएंट ओमिक्रॉन के सबसे संक्रामक माने जा रहे ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.2 से भी 10% ज्यादा संक्रामक है।
- XE वैरिएंट को लेकर जानकारी अभी शुरुआती दौर में है। हालांकि, जनवरी में पहला केस मिलने के बाद इसके एक हजार से भी कम केस पाए गए हैं।
- XE वैरिएंट की गंभीरता और इस पर वैक्सीन के असर को लेकर अभी और स्टडी की जानी बाकी है। WHO और UK हेल्थ एजेंसी लगातार इस वैरिएंट के बारे में और जानकारी जुटाने में जुटे हैं।
क्या हैं कोरोना के XE वैरिएंट के लक्षण?
- XE वैरिएंट के अब तक कोई गंभीर लक्षण सामने नहीं आए हैं। इस वैरिएंट के लक्षण भी काफी हद तक ओमिक्रॉन जैसे ही हैं।
- XE वैरिएंट से संक्रमण की शुरुआत थकान और चक्कर आने जैसे लक्षणों से होती है। इसके अन्य लक्षणों में जुकाम, सिरदर्द, नाक बहना, गले में दर्द और बुखार शामिल हैं।
- इसमें गंध और स्वाद जाने की समस्या नहीं होती है, लेकिन इसमें दस्त, मितली, उल्टी और पेट दर्द जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।
भारत को है XE वैरिएंट से कितना खतरा?
भारत में XE वैरिएंट समेत कोरोना के किसी भी वैरिएंट के फैलने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है।
- XE ओमिक्रॉन के ही दो सब-वैरिएंट के म्यूटेशन से बना है, ऐसे में संभव है कि देश में XE वैरिएंट के केस पहले ही मौजूद हों, लेकिन अभी उनकी पहचान होना बाकी हो।
- साथ ही भारत 27 मार्च से दुनिया के सभी देशों के लिए इंटनेशनल फ्लाइट्स का ऑपरेशन शुरू कर चुका है। ऐसे में विदेशों से भी XE समेत किसी भी वैरिएंट के आने का खतरा बरकरार रहेगा।
- जानकारों के मुताबिक, फिलहाल भारत को XE वैरिएंट से ज्यादा खतरा नहीं है, क्योंकि ये ओमिक्रॉन से जुड़ा सब-वैरिएंट है, जिसकी लहर हाल ही में देश से गुजरी है और जिससे देश में करीब 50-60% लोग संक्रमित हुए थे।
- ऐसे में ओमिक्रॉन से पैदा हुई इम्यूनिटी के इतनी जल्दी खत्म होने की संभावना नहीं है कि XE वैरिएंट लोगों को प्रभावित कर सके।
- भारत में ओमिक्रॉन की वजह से आई तीसरी लहर खत्म हो चुकी है और डेली कोरोना केस 1 हजार के आसपास ही रह गए हैं और एक्टिव केसेज 12 हजार से कम रह गए हैं। देश में डेली और एक्टिव केसेज पिछले दो सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं।
- भारत में 07 अप्रैल को पिछले 24 घंटे के दौरान 1033 कोरोना केस दर्ज हुए और एक्टिव केस 11639 रह गए।
XE के अलावा XD और XF रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट भी मिले
ब्रिटेन की हेल्थ एजेंसी ने UKHSA के मुताबिक, अब तक कोरोना के तीन हाइब्रिड वैरिएंट-XD, XF और XE मिल चुके हैं।
- XD स्ट्रेन डेल्टा और ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.1 के जेनेटिक मैटेरियल के मिलने से बना है। इसका पहला केस पिछले साल दिसंबर में मिला था।
- XD स्ट्रेन के केस फ्रांस, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड्स और बेल्जियम से मिले हैं। 22 मार्च तक इसके कुल 49 केस मिले थे।
- XF स्ट्रेन भी डेल्टा और ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट BA.1 का हाइब्रिड है। इस स्ट्रेन के केस केवल ब्रिटेन में ही पाए गए हैं और अब तक इसके 39 केस मिले हैं।
- वैज्ञानिक वायरस में हो रहे लगातार म्यूटेशन से या दो वैरिएंट के मिलने से बनने वाले किसी भी रिकॉम्बिनेंट पर नजर रखते हैं, ताकि उसके पैदा होने वाले खतरों से निपटा जा सके।
XE वैरिएंट से सेफ रहने के उपाय:
- मास्क पहनें, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- सोशल डिस्टेंटिंग का पालन करें यानी लोगों से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखें।
- हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोएं, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
- ऐसी जगहों में रहने से बचें, जहां भीड़ हो और जो हवादार न हो यानी जिसका वेंटिलेशन खराब हो।
- घर के अंदर भी वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था रखें।
- वैक्सीनेशन करवाएं और वैक्सीन की दोनों डोज जरूर लें।
WHO चीफ ने दी थी नए वैरिएंट्स की चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम ने करीब तीन महीने पहले कहा था कि ओमिक्रॉन को कोरोना का आखिरी वैरिएंट समझना खतरनाक हो सकता है। UN हेल्थ एजेंसी की एग्जीक्यूटिव बोर्ड मीटिंग में उन्होंने यह भी कहा कि था अगर महामारी से बचने के लिए बड़े पैमाने पर उपाय किए जाते हैं तो 2022 के आखिर तक यह खत्म हो सकती है। साथ ही ये सलाह भी दी थी कि भविष्य में इस तरह के हालात को रोका जा सके, इसलिए मौजूदा महामारी से सबक सीखने और नए समाधान खोजने की जरूरत है।