समाज जिस वस्तु को सामाजिक तौर पर नकारता है, कई प्रदेशों में जो वस्तु प्रतिबंधित है अमृतसर के मजीठा में आस्था उसे ही प्रसाद बना देती है। ऐसा हर साल होता है। पंजाब में अमृतसर के मजीठा से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव भोमा में बाबा रोडे शाह की समाधि है। यहां हर साल मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग मन्नत पूरी होने के बाद आते हैं और शराब चढ़ाते हैं। यही शराब बाद में भक्तों को प्रसाद के तौर पर बांट दी जाती है। कोविड खत्म हो जाने के चलते तीन-चार दिन चलने वाले इस मेले में इस साल 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के माथा टेकने को आये।
बाबा रोडे शाह की दरगाह पर शुरू हुए मेले में बड़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंचकर आशीर्वाद ले रहे हैं। मेले के दौरान खास बात यह भी थी कि महिलाएं भी प्रसाद लेने में पीछे नहीं रहीं। बेझिझक महिलाएं शराब का प्रसाद ले रही हैं और उसे ग्रहण भी कर रही हैं। महिला श्रद्धालुओं का मानना था कि यह बाबा जी का आशीर्वाद है और इसे लेने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए।
वहीं आयोजकों का मानना है कि चार दिन के मेले में 4 लाख लीटर से भी अधिक शराब चढ़ती है और उसे प्रसाद के तौर पर बांट भी दिया जाता है। प्रसाद के तौर पर शराब चढ़ाने वाले यहां मूल्य नहीं देखते। यहां आस्था के अनुसार, देसी से लेकर महंगी से महंगी शराब भी चढ़ाई जाती है। लेकिन इसका जो प्रसाद बंटता है, वह सभी का मिक्सचर होता है। भक्तों का मानना है कि इसे शराब के तौर पर न समझकर प्रसाद के रूप में लेना चाहिए।