महज दो करोड़ 20 लाख की आबादी वाला श्रीलंका इन दिनों भीषण संकट का सामना कर रहा है.
माना जा रहा है कि श्रीलंका अपने सबसे ख़राब आर्थिक दौर से गुजर रहा है. खाने-पीने की चीजों के अलावा पेट्रोलियम और गैस की क़ीमत लगातार बढ़ रही है.
पिछले कई महीनों से देश में महंगाई दर दहाई अंकों में हैं. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद श्रीलंका का संकट कहीं ज़्यादा गहराया है.
देश में 16-16 घंटों तक बिजली की कटौती हो रही है. एटीएम खाली पड़े हुए हैं और पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं.
श्रीलंका पेट्रोल, डीजल गैस से लेकर चीनी तक,अधिकतर चीज़ें आय़ात करता है और यह सब फ़िलहाल बाधित है.
इसकी वजह से महंगाई बढ़ रही है और लोगों को रोज़मर्रा के सामानों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
महंगाई
श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के मुताबिक कोरोना संक्रमण की शुरुआत के समय देश में मंहगाई दर पांच फीसदी से थोड़ा ज़्यादा थी जो फरवरी, 2022 तक 18 फीसदी पर पहुंच गई.
यह पिछले साल की तुलना में 13 फीसदी ज़्यादा है. ज़रूरी सामानों की सप्लाई सीमित है. लिहाजा मांग बढ़ने की वजह से महंगाई भी बढ़ रही है.
लोगों की जेब पर असर
आम लोगों की जेब पर कितना असर पड़ रहा है, इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि सूखी मिर्च की क़ीमत पिछले साल की तुलना में 190 फीसदी बढ़ चुकी है.
देश के केंद्रीय बैंक के मुताबिक अप्रैल, 2021 में श्रीलंका में एक किलो सेब 55 रुपये में मिलता था, अभी यह 110 रुपये में मिल रहा है.
पिछले साल जो नारियल तेल 520 रुपये लीटर मिल रहा था, अभी 820 रुपये लीटर मिल रहा है.
श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों ने जरूरी चीज़ों की जमाखोरी शुरू कर दी है. यही वजह है कि कई इलाकों में सुपर मार्केट पूरी तरह खाली हो चुके हैं.
विश्लेषकों के मुताबिक आने वाले दिनों में संकट बढ़ने पर लोगों को एक समय का खाना त्यागना होगा.
आयात पर आश्रित
श्रीलंका दुनिया के उन देशों में शामिल है जो अपनी ज़रूरत की ज्यादातर चीजें आयात करता है.
ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर इकोनॉमिक कॉरपोरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के मुताबिक श्रीलंका ने 2020 में 1.2 अरब डॉलर मूल्य का पेट्रोलियम आयात किया था.
श्रीलंका कपड़ों, दवाइयों के लिए कच्चा सामान और गेहूं से लेकर चीनी तक- सबकुछ आयात करता है.
2020 में श्रीलंका ने 21.4 करोड़ डॉलर की कारों का आयात किया था. जबकि 30.5 करोड़ डॉलर के टेट्रा पैक दूध का आयात किया गया था.
श्रीलंका ज़्यादातर सामान चीन और भारत से मंगाता है. मौजूदा संकट के दौर में भी श्रीलंका ने चीन और भारत से मदद मांगी है.
श्रीलंकाई मुद्रा की गिरती सेहत
फरवरी, 2022 में श्रीलंका पहुंचने वाले पर्यटकों में 70 फीसदी लोग यूरोप से आए थे.
सरकार की मासिक पर्यटन रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी महीने में 15,340 रूसी नागरिक श्रीलंका पहुंचे थे. किसी एक देश से यह पर्यटकों की सबसे बड़ी संख्या है.
हालांकि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद रूसी पर्यटकों के आना कम हुआ है. इससे पहले कोविड संकट के कारण श्रीलंकाई पर्यटन उद्योग खस्ताहाल हो चुका था.
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष छिड़ने के बाद पेट्रोलियम के अलावा गेहूं सहित दूसरे खाद्यान्नों की क़ीमत बढ़ी है.
व्यापार घाटा बढ़ने के चलते श्रीलंकाई रुपया डॉलर के मुक़ाबले लगातार कमजोर हो रहा है.
कर्ज़ में डूबा श्रीलंका
श्रीलंका भारी कर्ज़ में डूबा हुआ है.
सरकारी विभाग के मुताबिक श्रीलंका ने एडीबी के अलावा चीन से काफी कर्ज़ लिया है.
इस वक्त श्रीलंका ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से ज़्यादा कर्ज़ लिया हुआ है.
इस कारण देश आर्थिक आपातकाल की ओर बढ़ रहा है.