यूपी विधानसभा चुनावों के इतिहास में कांग्रेस का यह सबसे खराब प्रदर्शन है. प्रियंका गांधी के भरसक प्रयासों के बाद भी आखिर क्यों बुरी तरह हारी कांग्रेस?
आइये समझते हैं 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आखिर क्या क्या गलतियां की….
यूपी चुनाव के परिणाम सभी के सामने आ चुके हैं। चुनाव के पहले कांग्रेस की ओर से जो भी दावे किए गए थे उनका असर नहीं दिखाई पड़ा। शुरुआत से ही हतोत्साहित नजर आ रहे कार्यकर्ताओं में प्रियंका गांधी की मंथन वाली बैठके भी दम नहीं फूंक सकीं। यूपी में हांसिए पर जा रही कांग्रेस की आखिरी उम्मीद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से ही थी। हालांकि बीते तीन बड़े चुनावों में जिस तरह से पार्टी लगातार नुकसान में गई है उसके बाद सवाल खड़े होना लाजमी है कि क्या प्रियंका मैजिक भी कांग्रेस के फिसड्डी है। फिलहाल आज हम आपको वह कारण बताने जा रहे हैं जिसके चलते पार्टी को यह करारी हार मिली।
1- चुनाव से ठीक पहले प्रियंका की एंट्री
यूपी में सभी राजनीतिक दल जहां महीनों और सालों पहले से चुनावी तैयारी में जुट जाते हैं वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की एंट्री चुनाव से ठीक पहले होती है। जाहिर तौर पर चुनावी हलचल के बीच कहीं न कहीं उनकी ओऱ से की गई महत्वपूर्ण बातें भी दब जाती हैं।
2- बड़े चेहरों की कमी
कांग्रेस में प्रियंका गांधी के अलावा यूपी में कोई भी बड़ा चेहरा नहीं है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी चुनाव में प्रचार से ज्यादातर दूर ही दिखे। बड़े चेहरों की चुनाव से दूरी भी पार्टी को हांसिए पर ले जा रही है। लोगों को उम्मीद थी की सोनिया गांधी स्टार प्रचारक के तौर पर यूपी में आ सकती है। हालांकि ऐसा भी नहीं हुआ। राहुल गांधी की भी कोई खास दिलचस्पी चुनावी सभा और रैलियों में नहीं दिखी।
3- टिकट बंटवारा ठीक से न होना
कांग्रेस की ओर से टिकट बंटवारे को लेकर भी कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी गई। इसके विपरीत कई ऐसे प्रत्याशियों के नामों का ऐलान पार्टी की ओर से कर दिया गया जो चुनाव लड़ने के इच्छुक ही नहीं थे। टिकट का ऐलान होने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया या फिर दूसरे दल का दामन थाम लिया।
4- स्टार प्रचारक समेत बड़े नेताओं का छोड़कर जाना
कांग्रेस के हार का बड़ा कारण यह भी है कि पार्टी न जिन चेहरों पर भरोसा किया उन्होंने पार्टी की धोखा दिया। कांग्रेस की ओर से स्टार प्रचारक बनाए गए आरपीएन सिंह समेत कई नेताओं ने नाम के ऐलान के बाद भी पार्टी से किनारा कर लिया। जिसका नकारात्मक प्रभाव जनता के बीच में गया।
5- संगठन में अनुभवी नेताओं की कमी
राज्य स्तर से लेकर बूथ स्तर तक कांग्रेस में अनुभवी नेताओं की काफी कमी है। पार्टी आज भी उन वरिष्ठ नेताओं के सहारे ही चल रही है जो जमीनी हकीकत से काफी दूर हैं। कांग्रेस के बूथ और राज्य स्तर के कई कार्यकर्ता आज भी यह कहते हुए सुने जाते हैं कि पार्टी में उनकी कोई सुनवाई नहीं है। पार्टी में निर्णय आपसी सामंजस्य से नहीं लिए जाते, बल्कि कुछ फरमान दिए जाते हैं जिन पर हमें काम करना होता है।
6- युवाओं का पार्टी में न होना
कांग्रेस पार्टी का प्रयास भले ही घोषणापत्र के जरिए युवाओं को साधने का था लेकिन सच यह भी है कि पार्टी में युवाओं की बेहद कमी है। युवा विंग का एक्टिव न होना कहीं न कहीं पार्टी के लिए इस चुनाव में भी घातक साबित हुआ। युवा कार्यकर्ता आज के समय में पार्टी में नहीं है। जिसका खामियाजा पार्टी को चुनाव प्रचार से लेकर कई जगहों पर भुगतना पड़ा।
7- हिजाब विवाद पर प्रियंका की टिप्पणी
यूपी चुनाव के बीच कर्नाटक से शुरु हुआ हिजाब विवाद भी कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआ। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से हिजाब को लेकर दिए गए विवाद के बाद पार्टी कई हिंदू संगठनों ने उसका विरोध किया। यही नहीं दबी जुबान कांग्रेस के कई नेता भी इसका विरोध करते सुनाई पड़ें।
8- मेनिफेस्टो से जमीनी मुद्दे दूर होना
कांग्रेस की ओर से चुनावी घोषणापत्र में युवाओं और महिलाओं को साधने का भरसक प्रयास हुआ। हालांकि जमीनी मुद्दे जिनकी दरकार यूपी की जनता को थी वह इससे दूर थे। पार्टी की ओर से यह ध्यान ही नहीं दिया गया कि आखिर अलग-अलग जिले या क्षेत्र किस समस्या से पीड़ित हैं। चुनाव के बीच जनता यह भी कहती हुई दिखाई दी कि यह घोषणापत्र एसी कमरों में बैठकर बिना सोचे-समझे तैयार कर दिया गया है।
9- हवा-हवाई घोषणापत्र
मैनिफेस्टो में कांग्रेस की ओर से किए गए वादों को जनता ने पूरे तौर से हवा हवाई माना। लोगों ने इस पर भरोसा करने की जहमत ही नहीं उठाई। कांग्रेस का घोषणापत्र देखने के बाद लोगों के मन में भी सवाल आया कि जिस प्रदेश में आज भी कुछ लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं वहां इन बड़े दावों को पूरा किया भी जाएगा तो कैसे।
10- नेताओं की विवादित बयानबाजी
चुनाव के बीच नेताओं की विवादित बयानबाजी ने भी कांग्रेस पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया। यूपी चुनाव की तैयारी में जहां सभी दल लगे थे उसी बीच कर्नाटक से विधायक और कांग्रेस नेता रमेश कुमार के एक बयान के बाद प्रियंका गांधी तक को सफाई करनी पड़ी। यह बयान महिलाओं से संबंधित था जिसको लेकर प्रदेश में कांग्रेस की काफी आलोचना हुई।